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Aaeye Tarashe Apne Bundelkhand Ko

Samaj Ki Jatil Samasyaen Evam Unka Nirakaran

MRP :  ₹ 290 ( Paper Back )

  • Author Name      :   Mamta Rajpoot
  • ISBN          :   978-81-945564-6-6
  • No of Pages      :   154
  • Publisher             :   Sankalp Publication
  • SKU Code       :  SP/20/0092
  • Availablity      :   AVAILABLE
  • Book Size       :   5X8
  • Publishing Date  :   2020-06-25



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Distribution

ऐसा बुंदेलखंड जिसकी विरासत स्वर्णिम अक्षरों में लिपिबद्ध है । किसी कवि ने बुंदेलखंड की प्राकृतिक छटा का बहुत सुंदर वर्णन किया है स श्गिरि गहर नदए निर्झर मयए लता गुल्म तरूएकुंज भूमि हैए तपोभूमि एसाहित्य कला युतए वीर भूमि बुंदेल भूमि हैश् स आप सब ने किताबें तो पढ़ी ही होंगी और उनसे कुछ शिक्षा भी ली होगी स इस किताब को लिखने का उद्देश्य समाज के अंदर और हम सभी के अंदर वह छुपी हुई कमियों को उजागर करनाए हैए जिनमें सुधार और विकास की जरूरत हैए मैं अपने प्रदेश में रहने वाले उन प्रत्येक इंसान का आदर करती हूंए जो मानवता को और इंसानियत को समझने वाले हैंए और देश एवं प्रदेश में रहने वाले जरूरतमंदों की मदद करते हैं स इस पुस्तक की विशेषता किसी भी समाज की छुपी हुई कमियों को नई विचारधारा में तब्दील करने वाली है स कोई भी प्रांत हो या राज्य विशेष अपने आप को किसी दूसरे से पीछे नहीं रखना चाहताए जिस प्रकार हम अपने पड़ोसियों को देखकर पीछे नहीं रह सकते या उसी प्रकार बुंदेलखंड भी विदर्भ से प्रतिस्पर्धा की होड़ में है स बुंदेलखंड के किसान विदर्भए आंध्र प्रदेशए कर्नाटका और केरल के किसानो से होड़ में है स वर्षों से चली आ रही प्राचीन ष्रूढ़ियाँष् एवं परम्पराएं जो विशेषकर महिलाओं के विकास में बाधक है उस पर मैं यह नहीं कहूंगी कि ये कानून से ही दूर होंगी बल्कि हम सबको ही समाज के अंदर परिवर्तन लाना होगा स हम सभी को एकजुट होकर रूढ़ीवादी परंपराओं जैसे दहेज़ रूपी दानवए पर्दा प्रथा एलड़का .लड़की में भेदभाव की परंपरा को बदलना होगा स बुंदेलखंड जो सामाजिक बुराइयों का शिकार हो गया है ए वहां सामाजिक परिवर्तन करना ही होगा । सभी वर्ग ए सम्प्रदाय के लोग संगठित होकर समाज को तो परिवर्तित कर ही सकते हैए बड़ी से बड़ी समस्याओं का समाधान भी हल कर सकता है स मुझे पूर्ण विश्वाश हे कि इस पुस्तक को पढ़कर आप अपना एवं समाज का उत्तर्दायित्व पूर्ण करवाने में मदद करेंगे। ताकि हमारे बुंदेलखंड की खोई हुई चमक वापस आ सके ।

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लेखिका ममता राजपूत का बचपन बुंदेलखंड के जिला हमीरपुर ग्राम गहरौली में दादा श्री रामसहाय दादी श्रीमती गुलाब रानी के लाड प्यार में बीता l आठवीं तक की पढ़ाई ग्राम गहरौली से पूरी की क्योंकि माता-पिता महोबा में रहते थे l 10वीं, 12वीं और स्नातक की पढ़ाई माता पिता के साथ रहकर महोबा से पूरी की l परास्नातक पंडित जवाहरलाल नेहरु स्नाकोत्तर महाविद्यालय बांदा से किया l गांव में रहने के कारण ममता को लोगों के परिश्रम और ईमानदारी की समझ अच्छे से हो गई थी l ममता पर अपने पिता का स्पष्ट प्रभाव देखा जा सकता है क्योंकि उन्होंने उनको हमेशा समाज के जरूरतमंदों की मदद करते देखा है l मां श्रीमती संतोष रानी जिनका हृदय सदैव ममता एवं करुणा से झलकता दिखता है l ममता पर उनके उच्च संस्कारों की गहरी छाप पड़ी l ममता को साहित्य से बहुत प्रेम है, इन्होने बचपन से ही कविताएं पढ़ना और लिखना प्रारम्भ कर दिया था l ममता को पढ़ाई के साथ-साथ खेल प्रतियोगिताएं बहुत पसंद रही है l स्नाकोत्तर की पढ़ाई करते समय इन्होने खेलकूद प्रतियोगिताओं में चैंपियनशिप जीती थी l अभी हाल ही में जिला स्तर (गुरुग्राम ) 10 मीटर एयर पिस्टल की प्रतियोगिता में सफलता प्राप्त की है l बांदा, महोबा में पढ़ाई करते वक्त, इन्होने पारिवारिक, सामाजिक परंपराओं एवं व्यवस्थाओं को समझना आरंभ किया था l चूँकि महोबा उत्तर प्रदेश और मध्य प्रदेश की सीमा में पड़ता है इसीलिए उत्तर प्रदेश के साथ मध्यप्रदेश की परंपराओं से भी सरोकार हुआ l इनका विवाह राजधानी लखनऊ में संपन्न हुआ l गुजरात के बड़ौदा शहर में रहते हुए, जो कि भारत के सबसे अग्रणी शहरो में से एक है, ममता ने यह महसूस किया की यहाँ महिलायें जीवन के प्रत्येक क्षेत्र में बढ़ चढ़ कर हिस्सा लेती हैँ । इस सबका ममता के मानस पटल पर गहरा प्रभाव पढ़ा । तत्पश्चात हरियाणा के फरीदाबाद एवं गुडगाँव में रहीं l फरीदाबाद एवं गुडगाँव दिल्ली के समीप होने के कारण अत्यंत विकसित हैं l यहाँ महिलाएं पुरुषो के साथ कन्धा से कन्धा मिला कर समाज में अपना योगदान दे रही हैं l ममता ने यह भी महसूस किया कि गुड़गांव के लोग जैसे जैसे लॉजिक को समझने लगे हैं l उनकी सोच में भी परिवर्तन आ रहा है l उनकी उन्नति शील सोच हरियाणा को विकसित बना रही है l परंतु, हरियाणा में कहीं कहीं आज भी बेतुके, दकियानूसी एवं अंधविश्वासी विचारों को समाज प्रोत्साहित कर रहा है । ममता ने इस किताब के माधयम से बुंदेलखंड की रूढ़िवादी प्रथाओं को उजागर किया है l साथ ही साथ , अपने व्यापक अनुभव के आधार पर उन्होंने बुंदेलखंड के समाज को आगे बढ़ने के लिए सुझाव भी दिए हैं ।

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